Tue. Nov 5th, 2024

आज हम आपके लिए और आपके बच्चों के लिए लेकर आये हैं, कुछ प्रेरणादायक और मनोहर कहानीयां (in Hindi)। प्रेरणादायक ( inspiratinal and motivational story in hindi) कहानीयां हमारी जिंदगी को आसानी बना देते है। हमें जिंदगी को जिने का सही लक्ष्य प्रदान करते है। अत: कहानीयां जिंदगी का मनोहर (दिल छुने वाला) भाग हैं।

यह कहानीयां हमें प्रेरणा और शांति, सुख और ज्ञान दती है। कुछ manohar और prernadayak kahaniyan (in hindi) निम्निलिखित हैं:

कटी अंगुली वाला राजा। अच्छा है….

एक राजा था जो अपनी पत्नी के साथ बैढा था। उसकी पत्नी कोई सिलाई का कार्य कर रही थी, उसके हाथ में सुई थी। राजा और रानी की बातचीत में सुई राजा के हाथ में लग जाती है। और अंगुली लगभग कट जाती है । तभी रानी कहती है कि जो हुआ; अच्छा ही हुआ । राजा क्रोधित हो जाता है और उनके बीच लड़ाई हो जाती है।

Prernadayak Aur manohar kahaniyan in Hindi

आक्रोश में राजा शिकार के लिए जंगल में चला जाता है। तथा उसके साथ उसका मंत्री होता है। मंत्री ने कहा कि महाराज आप क्रोधित क्यों हो, क्या हुआ?
राजा कहता है कि मेरी अंगुली कट जाती तो महारानी जी कहती है की जो हुआ, अच्छा हुआ। कहती है कि भगवान सब अच्छा करता है। तभी वह मंत्री भी कहता है कि राजा जी भगवान जो भी करता है वह अच्छा होता है।

राजा बहुता ही क्रोधित हो जाता है। राजा कहता है कि मंत्री आप हमारे लिए पानी लेकर आएं। मंत्र घोड़े से ऊतरकर कुए के पास जाता है। तभी राजा पीछे से आता है और उसे थका देकर कुए में धकेल देता है। राजा ने कहा कि यह भी आपके भगवान ने ही किया है और इससे आपको लाभ ही होगा, क्यों?

मंत्री कहता है कि राजन, जो हुआ अच्छा हुआ । वह सब अच्छा करता है। राजा क्रोध के साथ शिकार के लिए आगे बढ़ जाता है। कुछ समय बाद वहाँ के आदिवासीयों ने उन्हे पकड़ लिया । और अपने राजा के पास ले जाते है।

आदिवासी राजा ने कहा कि आज हमें अपनी काली माँ के लिए बलि देनी है। और इसके लिए तुम्हे चुना गया । क्योंकि तुम सबसे पहले हमारे हाथ लगे हो .। आदिवासीयो ने बलि के लिए सारी तैयारी कर दी। राजा को बलि के स्थान पर बाँध दिया जाता है। और वहाँ का पुजारी आकर उनकी आरति उतारता है। लेकिन पुजारी को उसकी कटी हुई अंगुली दिखाई दे जाती है।

तब पुजारी कहता है कि इसकी बलि नहीं दि जा सकती है क्योंकि यह खण्डित है, इसकी अंगुली कटी हुई है। यह सुनकर आदिवासियों ने उन्हे मुक्त कर दिया । अब उन्हे पता चला की भगवान जो करता है, अच्छा करता है।

राजा जल्दी से मंत्री के पास जाता है और उसे कुए से बाहर निकालता है। कहता है कि भगवान जो करता है अच्छा करता है, लेकिन इसमे तुम्हारा क्या अच्छा हुआ? तुम तो बिना वजह के इस कुए में पड़े रहे। तब मंत्री ने कहा राजन अगर आपने ढका न दिया होता और में आपके साथ चला जाता तो आप तो आपकी कटी अंगुली के कारण बच जाते लेकिन मैं कैसे बचता मेंरी तो कोई अंगुली कटी हुई नहूं थी। इसलिए भगवान जो भी करता है , अच्छा करता है।

मित्रो मैंने यह प्रेरणादायक कहानी इसी कारण लिखी है क्योंकि लोग हर बात को अपने मस्तिष्क पर लेकर जीवन भर रोते और परेशान होते रहते है। इसलिए आप यही समझिये कि जो होता है अच्छा होता है। जिंदगी कुछ ही पलों की होती है। इसे खुले मन से जिना चाहीए।

चार आदमी की सवारी

आज दुनिया बहुत से धर्मो में विभाजित है। और यह सभी धर्मो की दिवारे मनुष्य ने ही बनायी है। भगवान ने किसी भी प्रकार के भेदभाव का प्रतीक नहीं लगाया ।आज हर आदमी अन्य आदमी के समान ही उत्पन्न होता है, शरिर भी एक ही समान होता है।

Prernadayak Aur manohar kahaniyan in Hindi

यह एक प्रेरणादायक कहानी है जिसमें चार आदमी एक रेलगाड़ी के एक ही डिब्बे के अन्दर बेठे थे। चारो ही व्यक्तियों के बीच में पहले तो सिट के लिए झगडा हुआ । और सिट के झगडे के साथ -साथ गाली भी निकालने लग गये । सिट के लिए एक -दुसरे को धक्का देना शुरु कर दिया। काफी समय तक यह बहस चलती रही। और बाद में चारो ही शांत हो गये।

उनमें से एक व्यक्ति ने पास में बैठे आदमी से पुंछा- भाईसाहब आप कहा जा रहे हो? तो उस व्यक्ति ने जवाब दिया और जगह का नाम बताया । पुंछने वाला और सामने बेठे दोनो आदमी; वे भी हैरान हुए, क्योंकि वे भी उसी जगह जा रहे थ। अब उन चारो के बीच थोड़ा सा घुस्सा कम हुआ। फिर उसने उसके मकान की सही जगह पुंछी, तो उन तीनो को भी उसी जगह ही जाना था।

फिर पुंछा गया कि तुम्हारे पिता कौन है? तो चारो के पिता का नाम समान ही था अर्थात् वे चारो भाई थे जो बच्चपन में ही कामकाज और पढाई के कारण अलग हो गये थे। और उनके पिता ने चारो को मिलने के लिए पत्र भेजा था। यह जानकर चारो में इतना प्यार उमड़ा की सब एक – दुसरे से गले लगने लगे। अब सिट का झगड़ा समाप्त हो गया । कोई कह रहा था कि भईया आप यहाँ आकर बैठो और खुद खड़ा हो जाता । अब उनके बीच में अपार प्रेम आ गया जो कुछ समय पहले सिट के लिए एक दुसरे को धक्का दे रहे थे।

तो मित्रो आज दुनिया में कोई धर्म के लिए लड़ रहा है तो कोई धन के लिए। हर कोई एक -दुसरे को नफरत की नजर से देख रहा है। जबकि भगवान हमें जन्म देते समय तो कोई भेदभाव नहीं किया था। हमारे शरिर पर किसी भी प्रकार को जन्म के समय कोई निशान नहीं होता है। तो फिर कैसा धर्म ? अगर कोई धर्म है भी तो वह सिर्फ इन्सानियत का ही धर्म है।

हम सब भगवान को मानते है । यह भी मानते है कि जन्म – मृत्यु का फैसला भगवान का ही है। तो हम सब का प्रथम पिता तो भगवान ही है। और इसी कारण हम सब एक -दुसरे के भाई है।
इसिलिए हमें प्यार के साथ मिल-जुलकर रहना चाहिए।

बच्चा क्या मांगता है?

यह प्रेरणादायक कहानी एक राज्य की है। जिसका राजा बहुत ही परोपकारी था। लेकिन एक बार राज्य मे अकाल पड़ गया था। प्रजा भुखी हो गयी थी। राजा को यह खबर मिली तो राजा ने ऐहलान करवा दिया कि कल सुबह सभी प्रजा महल पहुँचेगी। कल सूबह पुरी प्रजा महल पहुँच जाती है। तो देखती है बहुत सारी खाद्य सामग्री एक लाइन में रखी हुई थी ।

राजा ने कहा कि आप यहाँ से जितना ले जाना चाहते है उतना ले जाये। उन गरीब में से एक अनाथ बच्चा भी उनके साथ आया है। लड़का राजा के पास जाकर पुंछता है कि राजन यहाँ पर क्या चल रहा है? राजा ने कहा बेटा यहाँ इस लाइन में जो रखा है आप उनमें से कुछ भी ले जा सकते है। लड़के ने पुरी लाइन को देखा तो उसी लाइन में वह राजा भी बेठा था। यह देख लड़के ने उस राजा को हाथ लगाते हुए कहा कि राजन मुझे आप चाहीए क्योकि आप भी इसी लाइन में बेठे है। राजा बहुत ही खुश हुआ। राजा ने उसे अपना बेटा घोषित कर दिया ।

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अर्थात् मित्रो अगर भगवान से मांगने मौका मिले तो भगवान को ही मांग लेना चाहिए। यह व्यर्थ की भौतिक वस्तुओ को मांगने से कोई लाभ नहीं।

पत्थर का भाग्य

इस मनोहर कहानी में एक शहर था । उस शहर के केंद्र में एक मुख्य चौराया था । वहाँ पर बहुत ही बड़ी-ब़ड़ी दुकाने, शॉ-रुम, गोदाम, होटल, हॉस्पीटल इत्यादि थे । और उस चौहराया से बड़ी -बड़ी गाड़ीयां जाती थी। लेकिन वहाँ चौहराया के बिल्कुल केंद्र में एक बहुत बड़ा -सा पत्थर था, जो आने वाली हर गाड़ी के बीच में आता था । और तो और कईं बार गाड़ीयां इस पत्थर से टक्करा भी जाती थी । इस तरह हर कोई आता और उस पत्थर को गालियां देता था। इस प्रकार वह पत्थर हमेशा यह सब सहन करता था।

Prernadayak Aur manohar kahaniyan in Hindi

एक दिन वहाँ पर एक मुर्तिकार आता है और उसकी नजर उस पत्थर पर पड़ती है । उसे लगा कि वह बड़ा -सा पत्थर मेरी मुर्ति के लिए बिल्कुल सही है। और उसने उस चौहराये की दुकानदारो से पुंछा कि क्या वह उस पत्थर को लेकर जा सकता है?

तब वहाँ के लोगो ने कहा, ‘हाँ’ बिल्कुल इसे यहाँ से ले जा सकते है क्योंकि यह हर राहगीर के बीच में आता है। और इस पत्थर ने यहाँ के लोगो को बहुत परेशान करके रखा, कृप्या इसे ले जाये।
मुर्तिकार उसे गाड़ी मे डालकर ले जाता है। उसने पत्थर पर छीनी और हतौड़े से उसका रंग रूप बदलकर एक महान व्यक्ति का रूप दे देता है। अब वह पत्थर एक सुन्दर रूप को ग्रहण कर लेता है।

लेकिन जैसे ही उस चौहराये से पत्थर को हटा लिया जाता है तो वहाँ पर बहुत ही बड़ा गढा बन गया था । अब जो भी उस चौहराये से निकलता है तो वह सीधे ही उस गढ़े मे जा गिरता था । अब फिर से परेशानी हो गयी थी । तो लोगो ने मिलकर सोचा कि यहाँ पर किसी मुर्ति को स्थापित कर देते है। और वे उसी मुर्तिकार के पास जाते है, जिसने वहाँ से उस पत्थर को उठाया था।

वहाँ पर पहुँचने के बाद लोगो ने एक महान व्यक्ति की मुर्ति देखी और सभी ने फैसला किया कि इसी मुर्ति को चौहराये पर लगाया जाना चाहीए। और उसे वहा पर समान के साथ उसे रखा गया । फुल माला और कई सारी मिठाईंया रखी गई ।

अब वह पत्थर बहुत खुश हो गया, सिर्फ उस मुर्तिकार के हाथ लगने से। उसने अपने आप को उस मुर्तिकार के हवाले कर दिया और छीनी व हतौड़ी की मार भी सहन की थी। इसी कारण उसकी जिंदगी पुरी तरह से बदल गयी । मुर्तिकार से पहले लोग उसे गालियां देते थे लेकिन मुर्तिकार के बाद वह बिल्कुल बदल जाता है और जो भी वहाँ से निकलता है वह उसे माला पहनाता है। उसके पैर छुते है। अर्थात् उसका जीवन पुरी तरह से बदल जाता है।

शिक्षा-

इस प्रेरणादायक कहानी का यही मतलब है कि हमारी जींदगी बिना किसी गुरू के सफल नही हो सकती है। अर्थात् हमारी जिंदगी भी बिना गुरू के उसी पत्थर के समान है। हमारी भी बिना गुरू के पहचान नही हो सकती है। अत: हमे गुरू को पुर्ण रूप से समर्पित कर देना चाहीए जिस तरह उस पत्थर अपने आप को मुर्तिकार के हवाले किया था । और हमे भी गुरू द्वारा दि गई हर चोट को सहन करना चाहीए । तभी हम गुरू के अनुसार बन पाएंगे। और परिश्रम के बाद हम भी उस मुर्ति कि तरह सम्मानित हो पाएंगे।

गंजा आदमी का चित्र

एक बार एक ग्राहक चित्रों की दुकान पर गया । उसने वहां पर अजीब से चित्र देखे। पहले चित्र में चेहरा पुरी तरह बालो से ढका हुआ था और पैरो में पंख थे। एक दुसरे चित्र में सिर पीछे से पुरी तरह से गंजा था। ग्राहक ने पुंछा, ‘यह चित्र किसका है?’

Prernadayak Aur manohar kahaniyan in Hindi

दुकानदार ने कहा, ‘अवसर का’ । ग्राहक ने पुंछा कि इसका चेहरा बालो से क्यो ढका हुआ है? दुकानदार ने कहा कि अक्सर जब भी अवसर आता है तो सामान्यत: लोग इसे नहीं पहचान पाते है। ग्राहक ने पुंछा की इसके पेरो मे पंख क्यों है? दुकानदार ने कहा कि वह इसलिए क्योंकि अवसर जब भी आता है तो वह बहुत कम समय के लिए आता है। और अपने पंखो कि मदद से उड़कर जल्दी से चला जाता है। इसलिए इसका उपयोग समय पर ही कर लिया जाना चाहिए।

ग्राहक ने पुंछा कि… और यह दूसरे चित्र में पिछे से गंजा सिर किसका है? दुकानदार ने कहा कि यह भी अवसर का ही है। अर्थात् किसी भी अवसर को सामने से, बालो से आसानी से पकड़कर अपना बनाया जा सकता है। लेकिन एक बार अवसर के चले जाने के बाद उसे पीछे से पकड़ना मुशकिल है। जैसा कि इस चित्र के गंजे आदमी को पीछे से नही पकड़ा जा सकता है। अत: समय पर हमारा नियंत्रण नही है ।

वह ग्राहक इन चित्रो का रहस्य जानकर हैरान था पर वह अब बात समझ चुका था। आपने कई बार दुसरो के मुह से सुना होगा या आपने ही कहा होगा कि हमें अवसर ही नहीं मिला। लेकिन यह अपनी जम्मेदारी से भागने और अपनी गलती को छुपाने का बस एक बहाना है । भगवान ने हमें ढेरों अवसरों के बीच जन्म दिया है। अवसर हमारे सामने से आते -जाते रहते है पर हम उसे पहचान नहीं पाते है।

अहंकारी मुर्तिकार और डाकू सिंह की गोली…ढिस्क्यों

इस मनोहर कहानी में एक मनोहरक गाँव था, उस गाँव में एक गरीब मुर्तिकार रहता है। वह मुर्ति बनाता था। कुछ समय बाद उसकी मुर्ति की कला प्रसिध्द होने लगी थी क्योंकि उसने मनुष्य के चेहरे बनाना शुरु किया और उसके बनाये हुए चेहरे की कला असली व्यक्ति के बिल्कुल समान होती है। अब उसकी मुर्तिया लाखों रुपयों मे बिकने लगी थी।

उसने मुर्तियों किमत कई गुना अधिक कर दि । उसे लगने लगा कि मैं ही सबसे अच्छी मुर्ति बनाता हुँ , मेरे जैसा इस दुनिया मे कोई भी नहीं होगा। अब उसे अहंकार होने लगा । लोगो से अलग ही रहने लगा क्योंकि उसके घर अब कई ब़ड़े – बड़े जमीनदार, ठेकेदार, राजा- महाराजा आदि आते थे।

उस गाँव के पास एक जंगल था। और उस जंगल मे डाकू रहते थे। उन डाकूओं के पास उस मुर्तिकार की सूचना मिली कि वह मुर्तियां बनाकर कई लाखो रुपये कमाता है। तब डाकू ने सोचा कि मैं उसे बंदी बनाकर रखुँगा । और उससे मुर्तियाँ बनाकर लाखो रुपये कमाऊँगा । और इस तरह वह रात को उस गाँव मे पहुँचता है। कुछ समय बाद वह मुर्तिकार के घर पर पहुँच जाता है।

मुर्तिकार ने जैसे ही उने देखता है तो वह जल्दी से ही दौड़कर एक कमरे मे चला गया । डाकुओं ने उसे देख लिया और उसके पीछे ही वे भी उसके कमरे मे पहुँच जाते है। लेकिन जैसे ही वे वहां पर पहुँते है, तो उन्हे बहुत – सारी मुर्तियां दिखाई देती है। सभी डाकू उन्हे देखकर परेशान होने लगते क्योंकि सभी मुर्तियां उस मुर्तिकार के चेहरे के बिल्कुल समान थी । और उनके मध्य मे उस मुर्तिकार के पहचानना बहुत मुश्किल था।

तभी एक डाकू को बात याद आती है कि वह मुर्तिकार बहुत अहंकारी व्यक्ति है। उसे अपनी कला का अभिमान है। और उसने जोर से बोला, ‘देखो- देखो इस मुर्ति में तो नाक बहुत ही छोटी है, कितनी घटिया मुर्ति है।‘ और इसी तरह सभी डाकूओं ने सभी मूर्तियों की बुराईयां करना शुरु कर दिया । तभी वह मुर्तिकार सामने आ जाता है और जोर से बोल पड़ता है कि नहीं यह मुर्तियां दुनिया में मेरी जैसी कोई नही बना सकता है। और तो और इस मुर्ति की किमती 3 लाख रुपये से भी ज्यादा है। और तुम कहते हो कि यह खराब है (क्रौध के साथ ) ।

सभी डाकू हँसने लगे और उस व्यक्ति को पकड लेते है। कहते है कि हमने तो झुंठ बोला था क्योंकि हमे पता है कि तुम बहुत ही अहंकरी हो और उसी अहंकार के करण तुम आज पकडे गये । तब वह मुर्तिकार बहुत पछताता है। और उसे महसूस होता है कि लोग सच कहते थे कि मैं एक अहंकरी व्यक्ति हुँ ।

शिक्षा-

मित्रो इस कहनी से यही शिक्षा मिलती है कि हमे कभी भी अहंकार नही करना चाहिए क्योंकि अहंकार हमे ही खा जाता है और पैसा कभी भी रिस्ता नहीं बनाता है। इसलिए सभी लोगो के साथ मिल – जुलकर रहना चाहीए ।

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