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About story:

मित्रो आज में आपके लिए बहुत ही प्रेणादायक और शिक्षाप्रद कहानीयां (inspirational and motivational stories) लेकर आया हूं। यह कहानीयां जितनी पढ़ने में मजेदार है उतनी ही शिक्षाप्रद भी है। इसे आप अपने बच्चो के साथ सांझा कर सकते है। और परिवार के साथ बैठकर भी कहानीयों के मजे ले सकते है।

मुझे पूरी उमीद है कि आपको यह कहानीयां बहुत पसन्द आयेगी। और कहानी को पढ़ते समय अपना ध्यान कहानी में रखे। इससे kahani पढ़ने का मजा दुगुना हो जाता है।

मैने इस पोस्ट का टाइटल दादी मां की कहानी रखा है। जो अक्सर दादी मां हमें प्यार से सुनाती है। अगर आप उम्र में बड़े है तो आप अपने परिवार के साथ बैढकर अपने छोटे- छोटे बच्चो को जरूर सुनाए।

जादुई आटा चक्की:

यह कहानी एक गरीब परिवार की है। उस परिवार में तीन भाई (मोहित, विक्रम और सुरज) रहते थे। उनके माता पिता का निधन हो चुका था। वे अब दुनिया में अकेले थे। और आप सभी जानते है कि बुजुर्ग का हाथ जब बच्चो के सिर से उठ जाता है तो घर के बिगड़ने में देर नहीं लगती है।

कुछ ऐसा ही होता है। जब वे बड़े हो जाते है तो तीनो ही अलग – अलग रहने लगते है। और हर कोई अपने –अपने रास्ते से अपनी जीन्दगी को चलाना शूरू कर देते है।

तीनो बेटो में सबसे छोटा बेटा (सुरज) बहुत ही ईमानदार और भोला था। वह हर बार अपने भाईयों को जोड़ने की कोशिश में लगा रहता था। लेकिन उसके दोनो बड़े भाई (मोहित और विक्रम) एक दूसरे को आंख तक नहीं भाते थे। मतलब उन दोनो का झगड़ा तो कभी खत्म ही नहीं होता था।

सुरज ने अपने बड़े भाईयों को समझाता है और कहता है कि हम तीनों अगर साथ में रहते है तो हम एक अच्छी जिन्दगी जी सकते है। और काफी प्रयत्न के बाद उसके दोनो भाईयों ने हाथ मिला दिया।

अगले दिन तीनो ही भाई गांव से बाहर काम करने के लिए जाते है। और उन्हे गोदाम में काम मिल भी जाता था। लेकिन सुरज भोला था, और उसके दोनो भाई उसका रोज भायदा उठाते थे। वे गोदाम का पूरा काम उससे करावाते थे। और जब ठेकेदार आता था तो वे दोनो भी खड़े हो जाते थे।

लेकिन सुरज को इस बात से कोई शिकायत नहीं थी। वह उनका हर काम करता था। और उनसे कभी शिकायत नहीं करता था। धीरे धीरे समय निकलता जाता है। विक्रम और मोहित दोनो ही घर पर बैठे रहते थे। और सुरज रोज कमाई करता था और पूरी कमाई अपने भाईयों को दे देता था।

विक्रम और मोहित दोनो ही पूरा समय मजे ही करते रहते थे। लेकिन सुरज रोज काम करता था इससे लोग उसकी इज्जत करते थे। इसके बाद सुरज ने गांव में बड़ी बड़ी जमीने भी खरिद ली।

यह बात उनके दोनो भाईय़ों को पता चली। तो उनके मन लालच जाग जाता है। और उसके दोनो ही मिलकर एक योजना बनाते है ।

लालची भाईयों की योजना

कुछ समय बाद रात हो जाती है। और सुरज भी काम करके अपने घऱ पर लौटता है। उसके दोनो उसे प्यार से कमरे में बैठाते है और उसके सामने खाना रखते है।

विक्रम- भईया तुम हमारे लिए इतना कुछ करते हो। इसलिए आज हमने तुम्हारे लिए अपने हाथो से खाना बनाया है।

मोहित- हां, भईया खाईये।

सुरज- हां, ठिक चलो तुम दोनो भी बैठ जाओ।

विक्रम- नहीं भईया। सबसे पहले आप खाईये।

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सुरज खाना खा लेता है उसके थोड़ी होती है। और उसकी हालता बेहोशी के समान हो जाती है। सुरज को अचानक चक्कर आने लगते है।

विक्रम- मोहित जल्दी जा और जमीन के कागज लेकर आ।

मोहित- ठिक है।

उसके बाद विक्रम और मोहित धोके से सुरज के अंगुठे ले लेता है। और सभी जमीन अपने नाम करवा लेता है। उसके बाद सुरज को घर से धक्के मारकर बाहर निकलावा देता है।

सुरज- अरे भईया, यह तुम क्या कर रहे हो? मैने तो तुम्हे कभी दुख नहीं दिया। और मुझे तुमसे कोई शिकायत भी नहीं थी आप दोनो ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया?

विक्रम- माफ करना भईया। लेकिन हम जहां भी जाते वहां पर सिर्फ आप के ही चर्चे होते है। और हमें तो कोई पूंछता ही नहीं था। इसलिए हमें मजबूरन आपसे यह छिनना पड़ा।

मोहित- हां भईया, अब हमारी भी ईज्जत होगी। और हमे आपके सामने हाथ फैलाने की जरूरत नहीं है।

सुरज- लेकिन भईया, मैं तो सिर्फ आपके लिए ही कमाता हूं। और अगर आप मुझसे यह सब मांगते तो में खुशी- खुशी दे देता। चलो ठिक है। अब मैं चलता हूं और हां, भईया खुश रहना।

सुरज का बलिदान

इसके बाद सुरज खुशी खुशी वहां से चला जाता है। सुरज के अब कुछ भी नहीं बचा था। लेकिन फिर उसके चेहरे पर मुस्कान थी क्योंकि अब उनके भाईयों को भी शायद इज्जत मिल जाएगी।

अगले दिन दोनो भाई अच्छे कपड़े पहन कर तैयार हो जाते है। सभी लोग उन्हे देखकर गालियां देने लगते है। और उन दोनो में से एक भी पानी के लिए नहीं पूंछते है। इसके बाद दोनो ही बेइज्जत होकर फिर अपने घर पर लौट जाते है।

मोहित- अरे भईया,धन दौलत होने के बावजुद भी हमारी कोई भी इज्जत नहीं कर रहा है। देखो उस सुरज की हर कोई इज्जत कर रहा है। पता नहीं उसमें ऐसा क्या है?

विक्रम- हमें क्या लेना और देना। हमारे पास पैसे है और बस इसके मजे लुटने है। चलो।

सुरज पूरी तरह से बेसहारा था लेकिन फिर भी लोग की आंखो में सुरज के लिए बहुत ही ज्यादा इज्जत थी। बड़े –बड़े ठेकेदार उसके पास आते है और कहते है- सुरज जी आप हमारे यहां पर काम कर लिजिए।

सुरज एक ठेकेदार को काम के लिए हां कर देता है। और अगले दिन उसके जमीन पर काम करने के लिए चला जाता है। सुरज का काम सिर्फ वहां पर बैठना था और मजदूरो पर सिर्फ ध्यान ही रखना था। एक दिन जब वह मजदूरो पर ध्यान रख रहा था तब उसने एक आटे की चक्की देखी ।

बुढ़ी दादी और दादा की चक्की

उस आटे की चक्की पर एक बुढा और बुढी काम कर रहे थे। सुरज उनके पास जाता है। और कहता है दादा जी मैं आपका काम कर देता हूं। और उसके बाद सुरज आटा पिसने लग जाता है। तभी जमीदार आ जाता है। और सुरज को कहता है कि बेटा तुम अपने काम पर ध्यान दो नहीं तो तुम काम छोड़ सकते हो।

सुरज उसी समय हाथ जोड़कर वह काम छोड़ देता है और उन बुजुर्ग की सहायता करने लग जाता है। कुछ दिनो बाद वे दोनो काफी बीमार हो जाते है। तब वे सुरज को बुलाते है और उन्हे कहते है बेटा यह चक्की जादुई है। और इसे तुम एक मंत्र के द्वारा जो चाहो वह प्राप्त कर सकते हो।

तुम्हारे मंत्र बोलने के बाद यह चक्की तुम्हे सभी प्रकार के सामान देती रहेगी। जब तक तुम उसे रोक नहीं लेते हो। यह कहकर वे दोनो ही मर जाते है।

एक बार फिर छल – लालच बुरी बला है

सुरज उस चक्की से सामान निकालता और लोगो की मदद करता था। और लोग उन्हे अपनी इच्छा से उसे कुछ भी देते थे। उसके बाद धीरे धीरे सुरज बहुत धनवान हो जाता है। लेकिन सुरज आज भी कमाई करके ही खाता था। और अपनी हवेली को लोगो की भलाई के लिए इस्तेमाल करता था।

यह बात उनके भाईयों को पता चलती है। उन्हे समझ ही नहीं आ रहा था कि सुरज ने इतनी जल्दी इतने सारे पैसे कैसे कमाए। उसके बाद वे दोनो ही दौड़कर वहां पर जाते है।

लेकिन सुरज उनका खुले दिल से स्वागत करता है। और उन दोनो को अपने खाने की टेबल पर बैठाता है। और उन्हे खाना खिलाता है। उन्हे देखकर सुरज के आंखो में आंसू आ जाते है। यह देखकर विक्रम और मोहित भी अपनी आंख से झुंठे आंसू निकाल देते है। और उसके बाद उसेक घर में रुक जाते है।

दोनो ही सुरज पर नजर रखते है तब उन्हे पता चलता है कि सुरज एक चक्की को एक मंत्र बोलता है और वह चक्की मन बोली चीज दे देती है। और फिर क्या वे दोनो रात का इंतजार करते है और बाद में उस चक्की को भी चोरी कर लेते है और अपने घर पर ले जाते है।

उसके दोनो ही वह मंत्र बोलते है और अपने मन की चीज मांगते है । चक्की घुमने लगती है और वह चीज निकलती जाती है। लेकिन उन्हे चक्की को बंद करना नहीं आता था। और देखते ही देखते वे दोनो उन सामान के नीचे दब कर मर जाते है। अगली सुबह सुरज उन दोनो को ढुंढने लगात है।

उसके भाईयो के पड़ोसियों से खबर आती है कि उन दोनो भाईयों की मौत हो गयी है।

अंतिम शब्द:

क्यों दोस्तो कैसी लगी जादुई आटा चक्की की कहानी। उमीद है कि आपको अंतिम घटना पसंद आयी होगी। और अगर आपका जवाब हां है तो इसे अपने दोस्तो के साथ जरूर सांझा करे।

और मित्रो कभी अपनो को धोक्का मत देना। और इज्जत हमेशा अच्छे कर्मो की वजह से मिलती है न कि धन दौलत के पीछे।

चलो मित्रो फिर मिलेगी ऐसी ही नवाब कहानी के साथ।

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