Thu. Apr 18th, 2024

कहानी के बारे में

नमस्ते मित्रो, आज की इस नयी कहानी (Pari ki kahani in hindi new) में आपका स्वागत है। यह नयी कहानी एक बुजुर्ग औरत से शुरू होती है। और इस कहानी में एक परि भी होती है। तो उमीद है कि आपको यह कहानी पसन्द आयेगी। इसके कहानी के अलावा हम भूतिया और शिक्षाप्रद कहानीयां (ghost stories and moral stories) भी लिखते है।

मित्रो इस कहानी को जरूर पढ़े यह कहानी जादु के साथ शिक्षाप्रद भी है। और इसे आप अपने बच्चो के साथ रात में एक साथ बैठकर सांझा कर सकते है। हमारी यही आशा है कि आपका परिवार साथ में बैठकर कहानीयों को सुने और आपकी खुशियां दुगुनी हो जाए।

जादुई अंगुठी की कहानी:

इस कहानी की शुरूआत एक गांव से होती है। और उन दिनो वहां पर अकाल पड़ जाता है। सभी गांववासी इस अकाल के कारण बहुत परेशान थे। सभी घांस और फसल सुख चुकी थी।

जादुई अंगुठी की कहानी - Pari ki kahani in Hindi with moral

उसी गांव में एक बुढि औरत रहती थी। जिसका नाम मंजुलिका था। मंजुलिका का परिवार में कोई भी नहीं था। वह अकली ही रहती थी। पानी का कोई साधन नहीं था। एक वह घर से बाहर खाने की तलाश में निकलती है। काफि समय बाद वह थक जाती है और एक पेड़ के पास जाकर बैढ जाती है।

तभी अचानक एक कबुतर उड़ता हुआ उस मंजुलिका के पास आता है। और वह कबुतर बोलता है – मुझे बचाओ मां, मुझे बचाओ।

बोलने वाला कबुतर

मंजुलिका उठती है और एक लकड़ी को पकड़ती है। उस कबुतर के पीछे बाज आता है। मंजुलिका उसे डरा कर भगा देती है। और इसके बाद वह उस बोलने वाले कबुतर की जान बचा लेती है। कबुतर उसका धन्यावाद करती है। और उसके बाद वह अपने असली रूप (परि) में आ जाती है।

परि- दादी मां आपका बहुत धन्यवाद। आपने मेरी मदद की इसलिए में भी आपकी मदद करूंगी। यह लिजिए एक जादुई अंगुठी। इस अंगुठी को पहने के बाद आपका रूप एक खुबशुरत लड़की में बदल जाएग। लेकिन दादी ध्यान रहे कि आपकी उम्र वही रहेगी। मतलब आपके भविष्य के अनुसार ही आपकी मृत्यु हो जाएगी।

मंजुलिका उस अंगुठी को पहनकर एक खुबसुरत लड़की में बदल जाती है। और उसका रूप पूरे राज्य में अनोखा होता है। सभी गांव के लड़के सिर्फ उसे ही देखते रहते है। हर कोई उसे अपने घर में ले जाने को तैयार था। वे सोचते है कि वह एक राजकुमारी है।

उस राज्य के राजकुमार ने एक सवयम्वर रखा और आस पड़ोस की खुबसुरत राजकुमारियों को बुलायां। और अगले दिन रात बारह बजे कार्यक्रम शुरू हो जाता है। राजकुमार को एक भी पसन्द नहीं आता है। तभी राजमहल के दरवाजे खुलते है और वहां से एक अत्यन्त खुबसुरत लड़की आती है। राजकुमार उसे देखकर चौंक जाते है।

राजकुमार और राजकुमारी (मंजुलिका) की शादी

राजकुमार तुरन्त उनके पास जाते है और उनका हाथ पकड़कर शादी का ऐलान कर देते है। राजकुमार (विक्रम) उनका नाम पूंछते है। मंजुलिका अपना नाम मोनिका बताती है। उसके बाद अगले दिन शादी का ऐलान हो जाता है।

इसके बाद अगला दिन जैसे ही उगता है राजकुमार मोनिका के कहने पर जादुई अंगुठी के समान ही एक अन्य अंगुठी पहनाकर शादी कर लेते है। और उसके बाद दोनो ही शादी के बंदन में जुड़ जाते है। मोनिका अपने असली रुप को भूल जाती है। उम्र के साथ उसे कमजोरियां होनो लगती है।

लेकिन कुछ समय बाद राजकुमार विक्रम राजा बन जाते है। और मोनिका रानी बन जाती है। मोनिका को इसी के अभिमान हो जाता है। उसके चारो तरफ दासियां घुमती रहती है। वह किसी से भी सीधे मुंह बात नहीं करती है। वह अपने असली रुप को पूरी तरह से भूल जाती है।

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बुजुर्ग आदमी – घमंड में अंधी हुई

एक दिन की बात है जब मोनिका अपनी दासियों के साथ राज्य में घुमने के लिए निकलती है। सभी लोग रानी की एक झलक के लिए तरस है। और जहां पर देखो वहां पर बहुत ही खतरनाक भीड़ लग जाती है। और हर कोई हाथ जोड़कर खड़ा होता है। मोनिका सभी को आशीर्वाद देती हुई जाती है।

उस भीड़ में एक बुजुर्ग आदमी खड़ा होता है। उसकी उम्र बहुत ही ज्यादा होने के कारण वह ठिक से खड़ा भी नहीं हो पाता है। वह थकावट के कारण नीचे बैठ जाता है। रानी के सैनिक उसे जबरदस्ती खड़ा करते है। लेकिन वह खड़ा नहीं हो पाता है। यह दृश्य मोनिका भी देखती है।

मोनिका अपने सैनिक को बुलाती है और कहती है कि इसे कहो कि वह मेरा सम्मान करे। अन्यथा उसकी टांगे तोड़ दी जाए। बुजुर्ग आदमी कुछ नहीं कर सकता था। तब रानी उसकी टांगे तोड़ा देती है।

इस तरह घुमते-घुमते मंजुलिका (मोनिका) अपने ही गांव जाती है। लेकिन तब बहुत ही अंधेरा हो जाता है। मोनिका आदेश देती है कि वे उस सुखी फसल में आग जलाए ताकि हम आसानी से चल सके। रानी की दासियां मना करती है। क्योंकि आग पूरे गांव में फैल सकती है। लेकिन मोनिका किसी की भी बात नहीं मानती है। और आग लगवा देती है।

आग धीरे धीरे बढने लगती है और देखते ही देखते आग पूरे गांव में फैल जाती है। गांव वाले तड़पने लगते है। लेकिन मोनिक गरिबी को देखकर हंसने लगती है । इसके बाद वह अपने राजमहल में फिर से लौट जाती है।

उस दिन सुबह के राजदरबार में सभी गांव वाले पहूंच जाते है। और सभी घटनाओ के बारे में बताते है । यह सुनकर विक्रम बहुत क्रोधित होता है। वह मोनिक की दासियों से सच्चाई पूंछते है तो वे भी इस बात की सच्चाई देते है। इसके बाद राजा विक्रम अपनी पत्नी को हतकड़ी पहनाकर राजदरबार में प्रस्तुत करने का आदेश देता है।

कुछ ही समय में सैनिक रानी को बंदी बनाकर राजदरबार में लाते है। मोनिक इससे बहुत ही क्रोधित होती है। वह कहती है कि राजन, मैं इस राज्य की रानी हुं और आपने मुझे बंदी बना लिया।

विक्रम- मोनिका तुम रानी थी लेकिन इस अपराध के कारण तुम रानी नहीं हो। मतलब मैं तुमसे शादी तोड़ता हूं।

घंमड की सजा – जादुई अंगुठी की कहानी

इसके बाद विक्रम नीचे उतरता है और अपनी पहनाई हुई अंगुठी को निकाल देता है। और उसी वक्त मोनिका जिन्दगी बदल जाती है मतलब वह अपने असली रूप मंजुलिका में आ जाती है। उसेक गांव वाले उसे देखकर चोंक जाते है। इसके बाद मंजुलिका पूरी बात पताती है। और राजा से माफी मांगती है। और कहती है कि

मंजुलिका- महाराज कृप्या मुझे सजा न दे। वैसे भी मेरी जिन्दगी बिल्कुल भी नहीं बची है।

विक्रम- नहीं तुम्हे सजा तो मिलेगी। तुम्हे तुम्हारी सच्चाई पता थी लेकिन फिर भी तुमने लोगो की इज्जत नहीं की। इसलिए तुम्हारी यही सजा है कि जिस गांव को तुमने जलाया है आज से तुम वहीं पर बिल्कुल अकेली रहोगी। और उसे गांव के सभी लोग वहां से दूसरी जगह रहेंगे।

इसके बाद राजा के सैनिक मोनिका को उस जले हुए गांव में अकेला छोड़ देते है। अब फिर वही स्थिति आ जाती है। उसके पास खाने के लिए कुछ भी नहीं था और उसके पास अब रहने के लि राख ही बची थी।। वह आस-पड़ोस में सहायता के लिए भी जाती है लेकिन हर कोई उसे गालियां निकालकर भगा देता है।

इस तरह उसे अपनी गलती का अहसास होता है। और अंतिम में बेसहार होने से वह मृत्यु को प्यारी हो जाती है।

last words for fairy tales:

मित्रो आपके पास जो कुछ है उसी मैं खुश रहे। और अगर कुछ ज्यादा है भी तो उसका कभी भी अभिमान न करे। अन्यथा अंत में परिणाम बुरा ही होता है।

मेरा नाम प्रेम है। और मुझे उमीद है कि आपको यह कहानी पसन्द आयी होगी। अगर आपका जवाब हां है तो इसे अपने दोस्तो के साथ जरूर सांझा करे। आपके इसी सहयोग से मैं और अच्छी कहानीयां लिख पाता हूं।

कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद।

जादुई काँच की कहानी

यह कहानी एक गुरुकुल की है। उस गुरुकूल मे एक महर्षि और उनके शिष्य रहते थे। शिष्यों की शिक्षा समाप्त होने जा रही थी । शिक्षा के समाप्ति पर गुरू ने अपने एक खास शिष्य को बुलाया तथा कहा कि तुम्हारी शिक्षा समाप्त होने जा रही है और तुम अब घर जाने वाले हो । तो मैं चाहता हुँ कि आप अपनी सम्पुर्ण जीवन मे, मेरी दि गई शिक्षा का उपयोग करे और एक अच्छे गुणो युक्त जीवन को बनाये।

जादुई काँच की कहानी - Pari ki kahani in Hindi with moral

आज मैं आपको इस अन्तिम दिवस पर एक जादुई कांच दे रहा हुँ। इस काँच कि खासियत यह है कि आप इस काँच को जिस व्यक्ति के सामने रखेंगे उस व्यक्ति के सारे अवगुण आपको दिखाई देंगे। अब आप इस काँच को अपने साथ लेकर जायेंगे। और मेरी दी गई शिक्षा के अनुसार ही आप इस काँच का उपयोग करेंगे। अब आप जा सकते है। लेकिन आप पुन: 2 महीने बाद वापिस आयेंगे और आपने इसको क्या उपयोग किया है , यह मुझे बताएँगे। इस प्रकार वह शिष्य रवाना हो गया ।

आपके लिए (पाठक) – आप जरुर सोचना कि आपको यह काँच मिले तो आप क्या करेंगे ?
आपका जवाब कमेंट बॉक्स मे जरुर दे और उसके बाद आप इस कहानी को आगे पढें।

शिष्य- शिष्य अपने घर पहुँचता है। और वह सोचने लगता है कि मैं इस काँच का क्या करुँ । तो उसने सोचा कि सबसे पहले मैं अपने दोस्त के सामने रखकर देखूंगा कि वे मेरे बारे मे क्या सोचते है और उनके अंदर कैसे गुण है।
जैसे ही उसने दोस्तो के सामने काँच को रखा तो उसके सारे अवगुण दिखाई दे रहे थे । जैसे अंहकार, द्वेष, ईर्ष्या, नफरत, क्रोध, अहिंसा इत्यादि अवगुणो से भरे हुए थे। और उसने सभी दोस्तो, पड़ोसियों, और रिस्तेदारों इत्यादि के सामने रखा और सभी में अवगुण ही देखे। उसने देखा कि पुरी दुनिया ही अवगुणो से भरी है। 2 महीने पुरे होने लगे थे। अंत मे उसने अपने माता – पिता के सामने भी काँच रखा तो उनके अंदर भी अपने बच्चे के प्रति स्वार्थ दिखा । और इस तरह 2 महीने बाद पुन: वह आश्रम गया ।और गुरू से कहा कि गुरू जी पुरी दुनिया अवगुणो से भरी हुई है।

पाठक- आपने क्या सोचा दोस्तो ?

गुरू जी ने कहा कि मैंने यह काँच तुम्हारे लिए दिया था ताकि तुम अपने अवगुणो को देख कर ,अपने आप को सुधारोगे। मैंने तो तुम्हे शिक्षा दि थी कि आप किसी भी दुसरे का अवगुण नही देखेंगे। लेकिन तुमने पुरा समय दुसरो के अवगुण देखने मे ही लगा दिया । और आपने सभी मैं सिर्फ अवगुण ही देखे । और अंत: गुरु जी ने काँच उसी के सामने रखा तो शिष्य ने देखा कि वह खुद ही अवगुणो से भरा हुआ था ।

शिक्षा –

इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि हमे किसी के भी अवगुण नही देखने चाहिए। अगर हमने अपने अवगुणो को सुधार लिया तो आस – पास का वातावरण स्वयं ही सुधर जाएगा।

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