हामिद की कहानी हिन्दी में
मित्रो एक बहुत ही गरीब परिवार की कहानी है। उस परिवार में एक बच्चा और उसकी मां रहती थी। उसके परिवार की स्थिति बहुत खराब थी। हामिद की मां धुंए वाले चुल्हे के पास बैठ कर खाना पकाती थी। और साथ में कुछ काम भी करती थी। उसी से उसका घर चलता था।
एक दिन हामिद अपनी मां से कहता है कि “मां, आज गांव में मेला लगा है। और मैं भी अपने दोस्तो के साथ मेले में जा रहा हूं।“ मां हामिद को रोकती है और कहती है कि बेटा ये दो रूपये तुम अपने साथ ले जाओ और तुम्हे जो भी वहां पर पसंद आये खा लेना।
हामिद मेले के लिए अपने दोस्तो के साथ चल पड़ता है। हामिद के सभी दोस्तो ने बहुत अच्छे कपड़े पहने हुए थे। लेकिन हामिद के कपड़े फटे हुए थे। हामिद के सभी दोस्तो ने खुब मजे किये और वहां से बहुत अच्छा-अच्छा खाना खाया।
हामिद ने सोचा की मैं कुछ खा लेता हुं लेकिन वह पुरे मेले में घुम लेता है तब बाद में हामिद और उसके दोस्त एक खिलौने की दुकान पर रूकते है। सभी दोस्त कोई न कोई खिलौना खरीदते है। लेकिन हामिद की नजर एक लौहार वाली औरत पर पड़ती है। उसके पास रोटी को फैरने वाला चिमटा होता है।
हामिद उसे अपनी मां के लिए खरीद लेता है। दोस्त कहते है कि हामिद ये क्या ले रहा है। यहां देख बहुत अच्छे खिलौने रखे हुए है। इसमे बहुत मजा आयेगा। उस चिमटे को वही पर छोड़ दे। लेकिन हामिद उस चिमटे को खरीद लेता है। और सभी दोस्तो के साथ अपने घरों की ओर चलने लगता है।
रास्ते में उसके दोस्त उसका मजाक उड़ाते है कि उसने एक फालतू का चिमटा खरीदा है। जबकी हमने तो बहुत ही अच्छी गाड़ी खरीदी है। हामिद कहता है कि मेरा चिमटा लौह का बना हुआ है। और यह तुम्हारे प्लास्टिक के खिलौने से बहुत मजबुत है। और किसी समस्या में भी सहायता कर सकता है।
लेकिन उसके दोस्त हामिद का मजाक उड़ाते हुए एक जंगल में चले जाते है। जंगल में अचानक एक शेर का बच्चा आ जाता है। सभी दोस्त घबरा जाते है। लेकिन हामिद के पास चिमटा होता है जिससे वह शेर के बच्चे को भगा देता है। और हामिद अपने दोस्तो से कहता है कि देखा दोस्तो मेरे इस लौह के चिमटे ने तुम्हारी जान बचा दी।
कुछ समय बाद हामिद अपने घर पर पहुंच जाता है। उसकी मां उसका इंतजार कर रही होती है। हामिद मां मां चिल्हाता हुआ आता है। और मां की छाती से चिपक जाता है। मां कहती की बेटा मेले में मजा आया। हामिद मां को कहता है कि “मां, मेला बहुत अच्छा था। वहां पर बहुत-सारी मिठाईयां थी। और बहुत मजेदार खेल भी थे। और मां वहां पर बहुत-सारी खिलौनों की दुकाने भी थी।
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मेरे सभी दोस्तो ने बहुत अच्छे-अच्छे खिलौने भी खरीदे।
मां पुंछती है बेटा तुमने क्या खाया? हामिद मां की बात को काट देता है। और कहता है कि मां हम जब जंगल से आ रहे थे तो हमारे सामने एक शेर का बच्चा आ गया और मैने उसे भगा दिया। उसकी मां कहती है कि बेटा तुझे कुछ हुआ तो नहीं, इधर आ। मैं तुझे देखती हुं। और तुम्हारे पीछे हाथों में क्या है? हामिद मां से कहता है कि कुछ नहीं है।
मां हामिद को हाथ आगे दिखाने को कहती है। तो उसके हाथ में चिमटा होता है। मां कहती है कि बेटा यह चिमटा कहां से आया। और किसने दिया? हामिद मां से कहता है कि मां मुझे यह किसी ने दिया है। तभी हामिद के दोस्त आ जाते है। और कहते है कि मां इसके ये चिमटा तुम्हारे लिए खरिदा है।
मां कहती है, बेटा ये तुमने खरिदा है। तो तुमने मेले में क्या खाया? उसके दोस्तो जवाब देते है कि मां इसने वहां पर कुछ भी नहीं खाया । यह तो मेले की सभी चीजो को देखता ही रहा। हमने बहुत कहा लेकिन इसने कुछ भी नहीं खाया। और इसने चिमटा आपके लिए खरिद है। क्योंकि आप जब खाना बनाती हो तो आपके हाथ जल जाते है। इसलिए हामिद ने आपके लिए यह चिमटा खरिदा है।
मां की आंखो से बहुत आंसु आने लगते है। और हामिद को थप्पड़ मार कर गले से लगा देती है। और कहती है कि बेटा तुमने मेरे हाथो के लिए अपनी सभी इच्छा को मार दिया। बेटा में तुम्हारे लिए ही तो कमाती थी। मैं तुम्हे खुशी देना चाहती हुं। लेकिन तुमने मेरे लिए कुछ भी नहीं खाया ।
हामिद कहता है कि मां जब तुम्हारे हाथ रोटी बनाते समय जल जाते थे तो मुझे बहुत दर्द होता था। और इसलिए मेने अपनी खुशी के लिए ये चिमटा खरिदा। जिससे आपके हाथ अब नहीं जलेंगे। और आप खुश रहेंगी तो मैं भी खुश रहुंगा। तुम्हारी खुशी में ही मेरी खुशी है।
मन के हारे, हार है और मन के जीते, जीत
एक बार की बात है कि दों मेंढक एक तालाब में रहते थे, जिनमें से एक बहुत मोटा था और दुसरा मेंढक बहुत छोटा था। एक दिन दोनो खाने कि तलाश मे चले गये । और किसी घर में पहुंच गये। लेकिन दुर्भागय से दोनो मेंढक एक दुध के बर्तन में गिर गये, बर्तन के किनारे बहुत चीकने और ऊँचे होने के वे निकल नहीं पा रहे थे। दोनो ही पानी में काफी देर तक तैरते है लेकिन मोटा मेंढक थक जाता है। और वह कहता है कि अब कोई भी उन्हें बचाने नहीं आयेगा और हमारा मरना निश्चित है। दुसरे ने कहा कि हिम्मत मत हारो, कोई न कोई आ जायेगा। लेकिन मोटे मेंढक ने जीने की आशा छोड़ और थक कर उसने तैरना भी छोड़ दिया। और कुछ समय बाद वह मर जाता है।
दुसरे मेंढक को बहुत दुख होता है लेकिन उसने हार नहीं मानी और जीने की आशा के साथ लगातार प्रयत्न करता रहता है। और कुछ समय पश्चात् ही दुध में अधिक देर तक तैरने के कारण दुध मथने लग जाता है और मेंढक के पैरो में एक ठोस सतह बन जाती है। इस ठोस सतह के कारण वह लम्बी छलाँग मार कर बाहर आ जाता है। और वह बहुत बुरा महसुस करता है कि अगर उसके दोस्त न थोड़ी और मेहनत की होती तो वह भी आज जिंदा होता ।
शिक्षा- तो मित्रों, परेंशानिया हर इंसान के जीवन में आती है और कई बार हमारे सामने इतनी कठिन परिस्थितियां आती है कि हमें उनका हल असंभन सा प्रतीत होता है। लेकिन यकिन मानिए, अगर आप हिम्मत नहीं हारते है तो परिस्थितियां कैसी भी हो, कोई न कोई हल निकल ही जाता है। इसलिए कभी भी उम्मीद न छोड और जिंदगी को जीने के लिए कुछ न कुछ आशा जरुर रखे। आपकी जिंदगी खुशीयों से भर जायेगी।
प्रयत्न (मेहनत) करना ही जिंदगी का लक्ष्य है।
राम का नाम कैसे एक जिंदगी बचा देता है
मित्रो एक दिन की बात है कि एक व्यक्ति बर्फ बनाने की फैक्ट्री में काम करता था । उस फैक्ट्री में बर्फ बनाने के बहुत बड़े – बड़े कैम्पर बनाये हुए थे । वहां का तापमान काफी कम होता है । काम करने के बाद मजदूरो की छूटी शाम को छ: बजे होती थी ।
उस दिन शाम को सभी मजदूरी अपने – अपने घर चले गये थे । लेकिन एक मजदूर वहीं एक कैम्पर में रह गया । कैम्पर से आवाज बाहर नहीं जा सकती थी । वह चिल्हा –चिल्हा कर थक गया । लेकिन कोई भी वहां नही आया । अंत में उसने जिने की उम्मीद छोड़ दी । और अंत समय में वह भगवान को याद करता है । और कहता है कि भगवान अगर मैने अपनी जिंदगी में कोई भी एक अच्छा काम किया है तो कृप्या मुझे यहां से बाहर निकालिए । मैरा एक छोटा सा परिवार है । और उनके लिए सिर्फ में ही हूँ, मेरे अलावा उनका कोई नहीं है ।
काफी समय हो जाता है । और बाद में एक आदमी आता है और दरवाजा खोलता है । उसे बहुत खुशी मिलती है कि कोई उसे बचाने आया है और वह देखता है कि वह फैक्ट्री का चौकीदार है ।
वह उससे पुंछता है कि तुम्हे कैसे पता कि में यहां पर फंसा हुआ हूं , जबकी मेरी आवाज बाहर तो बिल्कुल भी नहीं जा सकती है । तब वह चौकीदार कहता है कि आप जब भी फैक्ट्री आते और जाते है तब आप हमेशा मुझे राम- राम कहते है ।और मुझे बहुत अच्छा लगता था । लेकिन इस बार आप फैक्ट्री आये तब आपने राम तो बोला था लेकिन वापिस आने के समय मैने राम नाम नही सूना । इसी कारण मुझे बेचेनी हुई और मैं फैक्ट्री में देखने के लिए आ गया । और आप यहां पर फंसे हुए थे ।
अब उस आदमी के आंखो मे आंसू आ जाते है कि मेरे एक राम-राम के नाम से किसी को खुशी मिलती थी और उसी खुशी के कारण आज मेरी जिंदगी बच गयी ।
तो मित्रो हमे हमेशा दुसरो की भलाई करनी चाहीए और कोई ऐसा काम करना चाहीए जिससे किसी को खुशी मिले ।